हैलो फ्रैंड्स
आज हम बात करेगे । कर के बारे मे । जिसे Engligh में Tax कहते है जानेंगे Tax क्या है ? और बताएंगे विस्तार से Tax के उद्देश्य, सिद्धांत, वर्गीकरण के बारे मे ।
👉 तो चालिए जानते है कर क्या है ?
Tax क्या है ?
Tax :- किसी राज्य द्वारा व्यक्तियों या विविध संस्था से जो अधिभार या धन लिया जाता है उसे कर या टैक्स कहते हैं ।- राष्ट्र के अधीन आने वाली विविध संस्थाएँ भी तरह-तरह के Tax लगातीं हैं ।
- कर प्राय: धन ( Money ) के रूप में लगाया जाता है लेकिन यह धन के तुल्य श्रम के रूप में भी लगाया जाता है ।
Tax की परिभाषा :- किसी भी राज्य की सरकारों के लिए कराधान ( Taxation ) आय का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है । लोकतंत्र में कराधान ही सरकार की राजनीतिक गतिविधियों को स्वरूप प्रदान करता है ।
- कर एक ऐसा भुगतान है जो आवश्यक रुप से सरकार को उनके बनाए गए कानूनों के अनुसार दिया जाता है ।
- कर करदाता द्वारा किया जाने वाला एक ऐसा अनिवार्य अंशदान है जो कि सामाजिक उद्देश्य जैसे आय व संपत्ति की असमानता को कम करके उच्च रोजगार स्तर प्राप्त करने तथा आर्थिक स्थिरता व वृद्धि प्राप्त करने में सहायक होता है ।
नोट :- फ्रैंड्स Tax के बदले में सरकार से किसी सेवा प्राप्ति की आशा नहीं की जा सकती है ।
👉 फ्रैंड्स अब जानते है....
टैक्स कितने प्रकार के होते है ?
कर दो तरह के होते हैं...
- प्रत्यक्ष कर ( Direct Tax )
- अप्रत्यक्ष कर ( Indirect Tax )
👉 फ्रैंड्स अब जानते है कर लगाने के क्या उद्देश्य होते है ?
करारोपण के उद्देश्य ?
कर लोगों द्वारा किया जाने वाला अनिवार्य भुगतान है । यदि फ्रैंड्स कोई व्यक्ति कर का भुगतान नहीं करता है तो उसे कानून द्वारा दंडित किया जा सकता है ।
- आय, संपत्ति तथा किसी वस्तु की खरीद के समय उस पर कर लगाया जाता है । कर सरकार की आय ( आमदनी ) का मुख्य स्रोत है ।
करारोपण के मुख्य उद्देश्यों को निम्न प्रकार से दर्शाया जा सकता है ।
- आर्थिक विकास
- आय प्राप्त करना
- साधनों का आबंटन
- कीमत वृद्धि पर नियन्त्रण
- असमानता को कम करना
- नियमन तथा नियन्त्रण करना
👉 फ्रैंड्स अब जानते है करो के वर्गीकरण के बारे मे ।
करो का वर्गीकरण
सरकार द्वारा हम पर कई प्रकार के करों को लगाया जाता है । जिनके वर्गीकरण को निम्न प्रकार से स्पष्ट ( समझा ) किया जा सकता है ।
- मात्रा के आधार पर
- तरीके के आधार पर
- स्वरूप के आधार पर
- मूल्यकान के आधार पर
👉 फ्रैंड्स अब इनको विस्तार से समझते है ।
मात्रा के अनुसार
मात्रा के अनुसार Tax दो प्रकार के होते हैं ।
1. एक कर : इसमें कर केवल एक मद अथवा शीर्ष पर लगाया जाता है । इसमें एक वस्तु पर कर लगता है जैसे - भूमि कर । यह कर प्रत्येक मे माह या प्रत्येक वर्ष एकत्रित किए जाते हैं ।
2. बहु कर : इसमें अनेक वस्तुओं पर एक साथ कर लगाया जाता है । जैसेः- उत्पादन कर, बिक्री कर, इत्यादि ।
तरीके के अनुसार
तरीके के आधार पर Tax चार प्रकार के होते हैं ।
1. अनुपातिक कराधान : आनुपातिक कर में कर की मात्रा समान रहती है । सभी आयों पर एक दर से कर लगाया जाता है । इसका करदाता की आय से कोई संबंध नहीं होता । इसे एक रेखाचित्र द्वारा दर्शाया जा सकता है ।
2. प्रगतिशील कराधान : प्रगतिशील कर में व्यक्ति की आय में परिवर्तन के साथ ही परिवर्तन होता है । आय की दर जितनी अधिक होती है । कर की दर भी उतनी ही अधिक होती है । भारत में प्रगतिशील कराधान को ही अपनाया गया हैै । इसे एक रेखाचित्र द्वारा दर्शाया जा सकता है ।
3. प्रतिगामी कराधान : प्रतिगामी कराधान में करदाता की आय जितनी अधिक होगी । कर के रूप में वह उतना ही कम अनुपात सरकार को देगा । यह कराधान प्रगतिशील करों के विपरीत होती है । इसे भी एक रेखा चित्र द्वारा दर्शाया जा सकता है ।
4. अधोगामी कर : अधोगामी कर प्रगतिशील करों और प्रतिगामी करों का मिश्रण है । इसमें एक निश्चित सीमा तक कराधान की दर में वृद्धि होती है और उसके बाद आय में परिवर्तन के साथ कर की दर स्थिर रहती है । इसे भी एक रेखाचित्र द्वारा दर्शाया जा सकता है ।
स्वरूप के अनुसार
स्वरूप के आधार पर Tax को दो भागों में बांटा गया है ।
1. प्रत्यक्ष कर : प्रत्यक्ष कर ऐसे कर हैं जो विधिगत रूप से जिस व्यक्ति पर लगाए जाते हैं उसे ही इसका भुगतान करना पड़ता है । जैसेः आय कर ।
2. अप्रत्यक्ष कर : अप्रत्यक्ष कर या परोक्ष कर ये कर आंशिक रूप से दूसरे व्यक्ति द्वारा लगाए जाते हैंं । जैसे - बिक्री कर, सीमा शुल्क कर ऐसे कर परोक्ष कर होते हैं क्योंकि इनका भार व्यापारी से उपभोक्ता को स्थानांतरिक किए जाते है ।
मूल्यांकन के आधार
मूल्यांकन के आधार पर Tax के तीन प्रकार है ।
1. विशिष्ट कर : जो कर वस्तुओं के विशिष्ट गुणों पर आधारित हो उन्हें विशिष्ट कर कहा जाता है । ये कर वस्तु के भार, आकार और मात्रा आदि के अनुसार लगाए जाते हैं । जैसे :- कपड़े पर शुल्क उसकी लंबाई के आधार पर लगाया जाता है ।
2. मूल्यानुसार कर : यह कर वस्तु पर उसके मूल्य के अनुसार लगाए जाते हैं । इस प्रकार के कर योग्य वस्तु के मूल्यांकन के पश्चात् लगाए जाते हैंं ।
जैसे :- निर्यात अथवा आयात शुल्क 5 पैसे प्रति रूपए या वस्तु के मूल्य पर 5 प्रतिशत की दर से लगाया जाता है ।
3. दोहरे कर : यदि एक व्यक्ति एक ही सेवा के लिए दो बार कर देता है तो उसे दोहरा कर कहा जाता है ।
उदाहरण के रूप में यदि भारत का व्यक्ति विदेश में आय प्राप्त करता है तो उसे एक ही आय पर दो बार कर देना पड़ेगा एक तो विदेश में और फिर एक भारत में भी ।
👉 फ्रैंड्स अब समझते है इनके सिद्धांतो के बारे में
करों के सिद्धान्त
कराधान के सिद्धान्तों को विभिन्न अर्थशास्त्रियों द्वारा प्रतिपादित किया गया है । जिनकी निम्नलिखित व्याख्या की जा सकती है ।
1. समानता का सिद्धान्त : इस सिद्धान्त के अनुसार व्यक्ति की कर देने की क्षमता के अनुरूप ही उस पर कर लगाया जाना चाहिए । अमीर लोगों पर गरीबों से अधिक कर लगाया जाना चाहिए । मतलब अधिक आय पर अधिक कर और कम आय पर कम कर ।
2. निश्चितता का सिद्धान्त : प्रत्येक व्यक्ति द्वारा दिया जाने वाला कर निश्चित होना चाहिए तथा उसमें कुछ भी असंगत नहीं होना चाहिए । प्रत्येक करदाता का भुगतान का समय, भुगतान की राशि, भुगतान का तरीका, भुगतान का स्थान, जिस अधिकारी को कर देना है, वह भी निश्चित होना चाहिए । निश्चितता का सिद्धान्त करदाताओं व सरकार दोनों के लिए जरूरी है ।
3. सुविधा का सिद्धान्त : सार्वजनिक अधिकारियों को यह ध्यान में रखना चाहिए कि करदाता को कर के भुगतान में कम से कम असुविधा हो । उदाहरण के लिए भू-राजस्व को फसलों के समय ले लिया जाना चाहिए ।
4. मितव्ययता का सिद्धान्त : कर संग्रहण में कम से कम धन खर्च किया जाना चाहिए । संग्रह की गई राशि का अधिकतम अंश सरकारी खजाने में जमा करवाया जाना चाहिए । इस प्रक्रिया में फालतू खर्च से बचा जाना चाहिए ।
5. उत्पादकता का सिद्धान्त : इस सिद्धान्त के अनुसार अनेक अनुत्पादक कर लगाने के स्थान पर कुछ उत्पादक कर लगाए जाने चाहिए । कर इतने अच्छे तरीके से लगाए जाने चाहिए कि वह लोगों की उत्पादन क्षमता को निरूत्साहित न करेंं ।
6. लोचशीलता का सिद्धान्त : कर इस प्रकार के लगाए जाने चाहिए कि उनके द्वारा एकत्र होने वाली राशि को समय और आवश्यकतानुसार कम से कम असुविधा से घटाया या बढ़ाया जा सकेे ।
7. विविधता का सिद्धान्त : इसके अनुसार देश की कर व्यवस्था में विविधता होनी चाहिए । कर का बोझ विभिन्न वर्ग के लोगों पर वितरित होना चाहिए ।
फ्रैंड्स
हमने आपको Tax के बारे मे कुछ जानकारियां बताई वैसे आपको ये Lesson कैसा लगा । क्या आपको यह जानकारी समझ में आई । कॉमेंट करे जरूर बताएं ।
और एक बात फ्रैंड्स आप से हम सीखते है इसलिए ज्यादा से ज्यादा सवाल खड़े किया कीजिए । जितने सवाल होगे उतना अच्छा ज्ञान हम आपसे प्राप्त कर सकते है ।
Thanku For Comment