कराघात व करापात क्या है ?

हैलो फ्रैंड्स
                फ्रैंड्स आज हम जानेंगे । कराघात और करापात क्या है ? करापात कितने प्रकार के होते है और अंत में बात करेगे कराधान के महत्वों की ।

👉 तो चलिए जानते है 

कराघात व करापात क्या है ?

कराघात : कराघाट कर के तात्कालिक प्रत्यक्ष मौद्रिक भार से होता है इसलिए कर के तात्कालिक या प्रारम्भिक मौद्रिक भार को वहन करने वाले व्यक्ति पर कराघात का असर होता है ।


अत: कराघात उस व्यक्ति पर होता है जो सरकार द्वारा लगाये जाने वाले कर का सर्वप्रथम भुगतान सरकार को करता है ।

👉 दूसरे शब्दों में कहें तो जिस पर कराघात होता है उसकी जिम्मेदारी यह होती है कि वह लगाये गये कर का सरकार को भुगतान करे । 
👉 इस आधार पर जिस व्यक्ति पर कर लगाया जाता है वही उस कर को सरकारी खजाने में जमा करता है और उसी पर कर का प्राथमिक मौद्रिक (द्राव्यिक) भार होता है । इसी को कराघात कहा जाता है। 
  • सरल भाषा में इस कर को प्रारम्भिक भार कहा जाता है ।
नोट : कर के प्रथम आघात को कराघात ( Impact of Tax ) कहते हैं । अर्थात कर का प्रथम आघात कर कराघात कहलाता है । 

करापात का अर्थ : कर के अन्तिम मौद्रिक भार से होता है । इस प्रकार वहन करने वाले व्यक्ति पर कराघात का असर होता है । 
अतः करापात उस व्यक्ति पर होता है जो अन्ततः कर के मौद्रिक भार का वहन करता है ।  
  • सरल भाषा में करापात को कर का भार कहा जाता है ।

👉 फ्रैंड्स आज कल व्यक्ति के व्यवहार में यह देखा जाता है कि कर का भुगतान करना किसी को भी पसन्द नहीं होता है । इसलिये प्रत्येक व्यक्ति कर के भार से बचने का प्रयास करता है । इस प्रयास में वह चाहता है कि वह कर का भुगतान अपनी आय से न करके किसी अन्य व्यक्ति से वसूल करके करे । 
  • यदि वह अपने प्रयास में सफल हो जाता है तो वह कर राशि दूसरे व्यक्ति से वसूल लेता है और इस प्रकार कर के भार को दूसरे व्यक्ति पर स्थानान्तरित कर देता है । 

  • इस स्थिति में जो व्यक्ति कर का वास्तव में अपनी आय से भुगतान करता है कर का भार उस पर ही हो सकता है। इस कर भार को करापात कहते हैं और यह अन्तिम कर भार होता है क्योंकि इस स्थिति में कर को अन्तिम रूप में चुकाया जाता है ।

नोट : यह उस व्यक्ति पर पड़ता है, जो कर के भार को किसी अन्य व्यक्ति पर डालने में समर्थ होता है । उस व्यक्ति पर लगने वाले Tax को करापात ( Incidence of Tax ) कहते हैं ।

👉 अब समझते हैं.... 

करापात के अध्ययन का महत्व

आधुनिक युग में करापात के अध्ययन का महत्व निम्नलिखित  कारणों से है ।

  1. कर भार ज्ञात करने के लिये - आधुनिक युग में करारोपण का उद्देश्य मात्र सरकार को आय उपलब्ध कराना ही नहीं है बल्कि देश में विद्यमान आय और सम्पत्ति की विषमताओं में कमी करना भी है । अत: इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए करापात का अध्ययन करना आवश्यक है ।
  2. करों के न्यायपूर्ण वितरण के लिए - अर्थव्यवस्था में सभी वर्गों पर कर का भार समान रूप से पड़े, इसको सुनिश्चित करने के लिए करापात का अध्ययन आवश्यक है ।
  3. कर देय क्षमता ज्ञात करने के लिए - देश में कर देय क्षमता का ज्ञान उपयुक्त करारोपण की नीति का निर्धारण करने के लिए आवश्यक है। कर देय क्षमता का ज्ञान प्राप्त करने के लिए करापात या कर के भार का ज्ञान होना आवश्यक है ।
  4. कर विवर्तन का ज्ञान प्राप्त करने के लिए- कर के भार को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति पर स्थानान्तरित करने की क्रिया को कर विवर्तन कहते हैंं । सरकार को उपयुक्त कर नीति का निर्धारण करने के लिये कर विवर्तन का ज्ञान प्राप्त करना आवश्यक होता हैै । 
  5. करों का प्रभाव ज्ञात करने के लिए - सरकार द्वारा लगाये जाने वाले करों के प्रभावों का ज्ञान प्राप्त करने के लिए भी करापात का अध्ययन करना आवश्यक होता हैै । 

फ्रैंड्स कर विवर्तन की प्रक्रिया...

इसके द्वारा एक व्यक्ति स्वयं पर लगाए गए कर भार को अन्य व्यक्तियों पर डाल देता है । कर का विवर्तन करना कानूनन अपराध नहीं है।

उदाहरण : सरकार किसी वस्तु पर कर लगाती है और वस्तु के उत्पादकों से कर राशि प्राप्त करती है । इस प्रकार उस वस्तु के उत्पादकों पर उसका असर पड़ता है । अब यदि उत्पादक कर का भार किसी अन्य व्यक्ति पर (माना थोक विक्रेता पर) वस्तु की कीमतों में वृद्धि करके डालता है और विवर्तन की यह प्रक्रिया थोक विक्रेता से अन्तिम उपभोक्ता तक जारी रहती है जो करापात उस उपभोक्ता पर पडेगा वो अन्तिम दशा में मौद्रिक भार उठायेगा । 

👉 इसे परोक्ष मौद्रिक भार भी कहा जाता है ।

ध्यान दे : कई लोग आय कम दर्शाकर, कर चुकाने से बच जाते हैं । इसे कर का अपवंचन कहते हैं। कर अपवंचन गैरकानूनी है ।

👉 अब जानते है...

करापात के अध्ययन में कठिनाइयां

करापात का अध्ययन करने में अनेक प्रकार की कठिनाइयां होती हैं जिनमें से प्रमुख कठिनाइयाँ निम्नलिखित हैं ।
  • करापात का अध्ययन करने में समय बहुत लगता है ।
  • करापात का अध्ययन एक सापेक्षिक अध्ययन होता है ।
  • अर्थव्यवस्था में निरन्तर होने वाले परिवर्तन करापात के अध्ययन को अत्यन्त कठिन बना देते हैं ।
  • कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव के कारण भी करापात का अध्ययन कठिन हो जाता है।
  • कर के प्रभाव और करापात में अन्तर करना बहुत कठिन होता है ।
👉 अब जानते है...

करापात के प्रकार 
 
प्रो. मसग्रेव के अनुसार करापात तीन प्रकार का है ।
1. विशेष करापात : जब कोई कर सरकारी खाते के व्यय पक्ष में बिना किसी परिवर्तन से लगाया जाता है ।
2. विभेदी करापात : जब कोई कर किसी अन्य कर के विकल्प के रूप में लगाया जाता है ।
3. संतुलित बजट करापात : जब कर की आय से सरकार अपने व्यय में वृद्धि करती है ।

👉 अब जानते है...

कराधान के प्रभाव

फ्रैंड्स कराधान के प्रभावों की व्याख्या निम्न प्रकार से की जा सकती है ।
  1. कराधान के उत्पादन पर प्रभाव : कराधान से कार्य करने, बचत करने तथा निवेश की इच्छा और क्षमता को प्रभावित करती है इसलिए कार्य करने, बचत करने और निवेश करने की योग्यता पर विचार करते समय सार्वजनिक व्यय के प्रभावों को भी ध्यान में रखा जाता है ।
  2. कराधान के वितरण पर प्रभाव : आधुनिक कल्याण कारी सरकार का मुख्य उद्देश्य है आय और सम्पति की असमनताओं को कम करना । समान वितरण की प्राप्ति के लिए सार्वजनिक व्यय इस प्रकार किया जाये जिससे निर्धन लोगों की आय बढ़े ।
  3. मुद्रा स्फीति पर करों का प्रभाव : मुद्रा स्फीति के समय पर कराधान का लक्ष्य होता है उपभोक्ता की क्रय शक्ति को कम करना । इस दिशा में आय और व्यय पर करारोपण, सार्वजनिक व्यय को नियन्त्रित करने में उपयुक्त होता है । आयातशुल्कों में कमी और वस्तुओं की पूर्ति में वृद्धि भी अर्थव्यवस्था पर स्फीतिकारी दबावों को कम करती है ।
  4. करारोपण का मन्दी के समय में प्रभाव : मन्दी की स्थिति से निपटने के लिए करारोपण में कमी आवश्यक है । विशेष रूप से उन करो को घटाना आवश्यक है जो निम्न आय वर्गों पर पड़ते है । वस्तुकरों में कमी से उपभोग की प्रवृति में बढ़ोतरी होगी और बाजार मे मांग बढ़ेगी । 
  5. करारोपण का उपभोग पर प्रभाव : उपभोग की मात्रा तथा प्रकृति पर नियन्त्रण कुछ वस्तुओं की बिक्री पर भारी कर लगाकर किया जा सकता हैै । राष्ट्रीय सीमाओं से पार से आने वाले उत्पादो का नियमन आयात-निर्यात शुल्क लगा कर किया जा सकता है ।

ध्यान देने वाली बात : इस प्रकार कर सरकार की आय का मुख्य स्रोत है । इसके कुछ सिद्धान्त और प्रभाव भी हैै जो आपको ऊपर बताए गए है 

फ्रैंड्स...
         इस Lesson मे आपने क्या जाना कॉमेंट करे । में पावन आपकी सेवा के लिए हमेशा तैयार रहूंगा

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